khwahishein yeh bhi hain
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आज के सन्दर्भ में दोहे
कलयुग का वरदान, दुष्ट को मिलेगा प्राणी रोएंगे ।
बनेगा जग शमशान, पाप के बोझ को प्राणी ढोएंगे।।
चाटुकार और चुगलखोर, ये नेताजी के पाले हैं ।
मतदाता को परख रहे जो, वो मतिभ्रम के मारे हैं।।
अहंकार की ऊंची लपटें, मनमानी करवाती हैं।
लंकापति रावण की मति को, दीवानी कर जाती हैं।।
स्वरचित
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