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लोकतन्त्त को बचाना है तो …………

khwahishein yeh bhi hain
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देश के जिस संभाग क्षेत्त (उ० प्र०) की मैं नागरिक हूँ ,वहाँ( राजनिति की सबसे ज्यादा बेमेल -खिचडी पकाई) विधान सभा के चुनावी घमासान में बड़ी -बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ और उनके दिग्ज अपने -अपने दम-खम की ताकत को झोंकने में जुटीं हैं ।सच -तो यह है कि सब के सब एक दूसरे की राजनीति का टैंट उखाड़ कर अपना तम्बू तानने की जुगाड़ में -साम,दंड ,भेद की नीति का इस्तेमाल कर मतदाताओं को रिझाने के हर सम्भव- प्रयास में जुटे हैं। एक तरह से सब लंका- में बावन गज के,की कहावत को चरितार्थ करते से नजर आते हैं ।सार्वजनिक स्थानों ,गली -मुहल्लों सब जगह कहीं भी चले जाओ -राजनीति की गर्मा-गरम बातें और हार -जीत की कयास लगाने बाले सब तरफ मिल जाते हैं ?
एक मतदाता की हैसियत से मैं पिछले कई दिनों से विचार- निमग्न हूँ कि किसे अपना वोट दूँ और क्यों ?और नहीं दूँ तब क्यों नहीं ? दोनों ही स्थितियों में -मुझे अपने नागरिक अधिकार का हनन होता महसूस सा लगता है ।इससे ऊपर मैं लोकतन्त्त की व्यवस्था का(मतदान के द्वारा )हिस्सा हूँ ,उसमें भागीदार होना मेरा नैतिक दायित्व है, कि मैं अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपनी सहमत या असहमति जाहिर अवश्य करूं ? अमूमन स्वतंत्त- लोकतन्त्त की परिभाषा में कोई भी और किसी भी पार्टी के प्रत्याशी की साफ -सुथरी (दाग रहित )छवि नजर नहीं आती , जिसमें अपने मत की स्वीक्रति की विश्वसनीयता मतदान के द्वारा जाहिर की जाए ।
ऐसे में मेरे सामने सिर्फ एक ही विकल्प बचता है कि चुनाव कराने संबंधी अधिनियम (१९६१ ) की धारा ४९(ओ )के तहत भारतीय मतदाता को यह भी अधिकार दिया गया है कि यदि वह समझता है कि कोई भी प्रत्याशी उपयुक्त नहीं है तो अपना मत किसी को न दे और इस बात को पारूप १७ ए पर दर्ज करे ।अर्थात भारतीय नागरिक को मत न देने का भी( संविधान में व्यवस्था का )अधिकार दिया गया है ।
उसी नागरिक अधिकार के पक्ष में मेरा स्वेच्छा से निर्णय है कि मैं मतदान केंद्र पर जाकर चुनाव अधिनियम के तहत प्रारूप १७ ए का इस्तेमाल करूंगी । लोक्तन्त्तीय-व्यवस्था को बदहाल बनाने वाले राजनीतिज्ञों के भ्रष्टतम आचरण व अपराधी करण प्रवति को रोकने का अथवा विरोध करने का यही एक मात्र विकल्प है ,और इसी पहल के द्वारा ,सर्वहारा एक आम नागरिक- भविष्य में बदलाव की दिशा की ओर अपना पहला कदम उठा सकता है ,मुझे तो यह पहल करनी है ।मेरे मत से क्या आप सहमत हैं ?यदि हाँ तब यह कदम उठाने की आप भी पहल कीजिए ।जन- गण मन अधिनायक ……जय हे जय हे ।

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