khwahishein yeh bhi hain
- 195 Posts
- 470 Comments
इंसानी -मिजाज के अलग -अलग रंगों की छटा बिखेरती यह नज्में -जो एक रात ख्वाब में आई और मेरी हथेलियों पर लिख गई,हमेशा की तरह मैंने भी उन्हें अपने आंचल में समेट लिया,इस लालसा और दुआ के साथ कि काश ऐसे ख्वाब का बाकया हर रोज और बार -बार घटित हो पर ……….?
नज्में
१-नीम-अँधेरे शंकाएं सौ ,अंगुली मार जगाती हैं ।
चादर से बाहर जाते ,पावों की छाप दिखाती हैं ।।
=
२-प्यार का दरिया,दिलों से सूखता सा जा रहा ।
आदमी में आदमी का ,डर समाता जा रहा ।।
=
३-अल्फाजों से अहसासों की ,शक्लें बनने लगतीं हैं ।
पंख लगाकर उड़ने की ,सच बातें लगने लगती हैं ।।
स्वरचित -सीमा सिहं
Read Comments