khwahishein yeh bhi hain
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पहचान …?
– मेरे ठिगने- पन पर ..?
– मेरे अपने -शरमाते और सकुचाते ..?
– कोई मेरे संग खड़ा नहीं होता ..?
– सब अपनी ऊँचाई से -मुझे नापते..?
– किसी की गिनती में !
– मैं -नहीं होती ..
– यह सच है …
-बिना- आकाश बादलों -की पहचान नहीं होती !
स्वरचित -सीमा सिंह
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