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नज्में

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
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नज्में
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मेरे शऊर का ये …जुनूं…?
१= तल्ख होती जा रहीं हैं ,कुछ बड़ी सच्चाइयाँ |
आप -मानों या न मानों ,हैं बड़ी गहराईयाँ ||
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२= शोर- मत बेमजा हो जाएगीं,तन्हाईयाँ |
नींद -गहरी सो रहीं हैं,ख्वाब की परछाईयाँ ||
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३= धूप-अच्छी है तभी,जब सर्द रातें हों घनीं |
बर्फ-की गिरती फुहारों पे -पड़ें चिंगारियाँ ||
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४= हो रही है नब्ज ठंडी,आग मत सुलगाईए |
बे-तरहा उलझी लटें हो जाए न गुमराहियाँ ||
स्वरचित – सीमा सिंह ||

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