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सच्चाई के साथ …..!

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
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बंदना और सुशांत पवित्रता के जन्म से पहले ही ब्रिटेन चले गये थे | और उन्हें वहां की जीवन- शैली इतनी लुभाई- कि उन्होंने वहीँ की स्थाई नागरिकता लेने का निर्णय लिया ,बावजूद इसके वह इण्डिया- साल में कम से कम एक बार अवश्य आते ,कभी -कभी यदि किसी नजदीक- रिश्तेदारों के यहाँ शादी -ब्याह का कार्यक्रम निकल आया ,तब दो एक चक्कर और भी हो जाते थे | पवित्रता का जन्म वहीं हुआ और वहीं के वातावरण में वह पली -बड़ी हुई |उसकी आधुनिक विचार -मत की मम्म -बंदना -अपनी बेटी को पूरी तरह ब्रिटिश नागरिक बनाने पर आमादा….. किन्तु पवित्रता ने मम्म के – बनाए माडल सांचे में ढलने से इंकार कर दिया |पवित्रता बचपन से ही इण्डिया में रह रहे अपने नानू- नानी ,दादा -दादी के भरे -पुरे परिवारों के बीच अपने हमउम्र बच्चों में इतनी घुल -मिल जाती थी ,कि ब्रिटेन वापसी के दो दिन पहले से ही वह उदास हो जाती और उसके साथ -साथ बच्चे तो फिर भी बच्चे थे, घर के बड़े भी गमगीन से हो जाते थे|, वह थी ही इतनी प्यारी और समझदार कि किसी को भी उससे ….|साल दर साल गुजरने के साथ -साथ उसने शिक्षा मनोंविज्ञान- कला विषयों में ग्रेजुएशन के बाद, मास्टर -डिग्री देहली यूनीवर्सिटी से करने का निर्णय लिया ,उसके इस फैसले -पर सभी हैरान थे ,उसकी मम्म बंदना तो इस बात के लिए राजी ही नहीं थी ,पर बेटी कि जिद के आगे उसे भी …..|यहाँ आकर उसने अपनी एक निश्चित- दिनचर्या बना ली थी, उसी के अनुरूप उसका अधिकतर समय -यहाँ की लायब्रेरी के हाल में व्यतीत होता था ,जहाँ उसे अपनी पसंद की सभी साम्रगी प्राप्त थी,यहीं उसने बापू जी महात्मा गाँधी के विषय सामग्री का गहन अध्ययन किया और अन्य पंडित जवाहर लाल नेहरु को भी जानने की …..पर महात्मा गांधी के व्यक्तित्व से वह बहुत प्रभावित हुई -शायद यहीं से सत्य के प्रयोग की दिशा में उसकी दिलचस्पी जाग्रत हुई और वह एक जनजाग्रत की भावना लेकर अपने अभियान पर चल पड़ी कि लोग झूठ क्यों बोलते हैं ,आदतवश या मजबूरीवश ………..

सच्चाई के साथ …..!
——
सच्चाई के …..
पांव धोकर ……..
पीने के बाद ………..!
मैनें ….
तय किया ……
कि…….
मैं -झूठ नहीं बोलूंगी ,
१—– आगे …..
रास्तों में …..
दुखों के ………………
चाहें जितने ……………..
यतीमखाने आये ?
मैं -रोऊंगी नहीं …|
२—– यह ……
मेरे -अपने …..
नितांत …………..
अज्ञातवास के ………
कारागृह का …………..
संकल्प है …………………
कि …..
परिस्थितियां -चाहे जितनी ….
आतंकी हों ……?
मैं -डरूँगी नहीं ……,
उकताऊँगी नहीं …….
ना – ही ……
सिर- झुकाऊँगी ……..
क्योंकि …..
मेरे -खून में ……
नालियों क़ी-गंध है …….!
दलदलों क़ी -संडास नहीं ….?
३—- मैंने ……
भोर – क़ी बेला के झुटपुटे काल में …
सरयू के किनारों को …….
प्रण-दिया …….
मैं -अपने साथ चलूंगी ……
विपरीत नांव …..
खेऊंगी – नहीं……..
हवा के साथ -भंमर का……
गुबार -बनूंगी नहीं …..!|||||||||||||
स्वरचित- सीमा सिंह |||

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