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मेरे- सूने आंगन में…….!

khwahishein yeh bhi hain
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मेरे- सूने आंगन में…….!
—–
कोई ……
नहीं -जानता…..
मेरे -आंगन में ……
अनुराग और विरक्ति के ….
ये …………
सुंदर- वृक्ष………
कहाँ-से आये ……
और
कैसे -उगे …….!
१— शायद ……
हवा के ……..
किसी -बैरागी ……
झोंके -के साथ ……
आये- होगें …….
और
मेरे -सूने आंगन को ….
शीतल -करने के ……
निमित्त -ठहर गये होगें ….
और -साथ -साथ …..
पुष्पलित-हो गये होंगे …….!
२— कोई -नहीं जानता ……
किस -दिशा नक्षत्रों में ……
इनकी -सुवास …….
अपने -रास्ते बनायेगी……
और
किस …………
करूणा के …….
आंगन -में …….
बिखर- जायेगी…….!
स्वरचित -सीमा सिहं ||||

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