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ख्वाब की सैर …….!

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
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ख्वाब की सैर …….!
—–
मेरी ……
सोच की …..
खोल -में ……..
कई………
परिचित ,अपरिचित …..
व्यक्तित्व -बसते हैं …….||
१—- मैं ……….
जब -सो जाती हूँ ……
तब ……..
वो- जागते हैं …….
और …….
सपनों -के शरीर ……
पहन-कर ……..
मुझे ………..
ख्वाबों की……..
रूहानी -सैर कराते हैं ……..||
२—- हम ……….
अद्रश्य- धागे में बंधे ……
गुब्बारे -हो जाते हैं ……
और …….
कहीं से कहीं …….!
हवा -से भी …..
हल्के -हो जाते हैं ……
आसमां-को पा आते हैं ……
चाँद- को भी ……….
हाथ -से छू के …..
लौट -आते हैं ……….||||
स्वरचित -सीमा सिंह |||

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