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मेरी हथेलियों पर ……..!

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
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मेरी हथेलियों पर ……..!
—-
यथार्थ की ……
कठोर – जमीन …..
जोतते -जोतते ……
मेरी-हथेलियों पर …….
ठूँठ -उग आये ……..
अब -उन पे ……..
सपने -नहीं उगते …….
१—- मैं …….
सपनों -के जंगल में ……
तितलियों के पीछे -पीछे ……
दौड़ -नहीं पाती………..|
२—- खुशबुएँ ……….
आती हैं ,चली जाती हैं ……
मुझे -मंत्र मुग्ध नहीं कर पाती …..
मैं ……..
किसी -भी कोने से ……
अपने -आप को ……..
साबित -नहीं कर पाती ……..
लोग ……..
मुझ से -क्या चाहते हैं …..
समझ -नहीं पाती ………..||
३—- चादर से ……..
बाहर -जाते पैरों की ……..
बडवार-रोक नहीं पाती ……. ?
स्वरचित -सीमा सिंह |||

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