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ख्बाव की गुजारिश …….!

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
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ख्बाव की गुजारिश …….!
—–
उसने -कहा ……
तू ……..
मुझे ……..
अपने- लफ्जों के …..
दायरे -में उतार ले ……
और ………
अपने -मुताबिक …….
जैसे -ढालना चाहे ……
वैसे -ढाल ले …….
१—- उसने -कहा ……
मैं ………..
तेरी- हसरतों,ख्बाहिशों….
चाहतों और इम्तहाँ का ….
वो- वे सबाल चेहरा हूँ …….
जिसे …….
तू ……
अपने – जेहन की ……..
किसी -भी ताबीर में ……
बे -शर्त ……….
जैसे-चाहे ……..
वैसे -उतार ले ……….
स्वरचित -सीमा सिंह |||

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