khwahishein yeh bhi hain
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इक – तबाही सी …………..!
———
जब – चोट ………
सीने – पे लगती है ………
तब ……………
न – शोर मचता है ……….
न – कहर गिरता है ………..
बस ……………..
इक -तबाही सी घिरती है ………|
१—– महफूज …………..
विश्वास – के …………
सब – घरौंदे ………….
टूट – की कगार पे होते हैं ……….
न – डर होता …………….
न – खौफ डसता है …………
इक – दहशत का माहौल खड़ा होता है ………||
२—— सोच – के जंगल में ………………
न – आँख रोती है ……………
न – दिल पिघलता है ………….
विवशता -की ……….
इक – आग सी सुलगती है …………………..|||
३——- जेहन – के अस्तबल में ……………
न – नींद होती है …………..
न – ख्बाव का तसब्बुर कोई ………….
दुनियां – बबूल का जंगल सी लगती है !||||||||||||
स्वरचित – सीमा सिंह |||||||\
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