khwahishein yeh bhi hain
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सरहदों – के उस पार………….!
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सरहदों – के ……….
इस – पार ………..
और…………..
उस – पार …………
फिजाओं – में ……….
जब – गुलाल उड़ता है ……….
तब ……………………..
आसमान – एकसार ……..
चाँद – बेदाग सा दिखता है ………..|
१——- धुंधला – चुकीं ………..
उम्मीदों – में …………
जल – उठे …………
चिरागों – का………….
इक – चमत्कार सा दिखता है …….||
२——- इन्हीं – खुशगवार ………….
मौसमों -में ……….
जमीं – के गुल -बुटों पे ……..
उतर आता है शबाव ……….
मानों ………………..
खुशबुओं – का ………………
जादुई – खुमार सा दिखता है ……|||
३——- सरहदों – के ……………
इस – पार …………
और ………………
उस – पार ………….
फिजाओं – में ………………
जब ……………….
गुलाल – सा उड़ता है ………..
घरों – की चौखटों पे …………
बेनूर – सी आँखों में ……….
आने – बाली आहटों का ………
वेसब्री – का इंतजार सा दिखता है ….!|||||||||
स्वरचित – सीमा सिंह |||||||
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