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कविता ने कहा ………..!

khwahishein yeh bhi hain
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कविता ने कहा ………..!
———
एक ………..
उबासी – लेती हुई ………
बोझिल,उदास ,थकी सी …….
जाती – हुई शाम को ………
थपकी – देते हुए ………
हवा – के स्पर्श से ………
कविता – ने कहा ………
१—– क्या – मैं …………
तेरे – पास बैठ सकती हूँ ……..
अगर – तेरी ……….
मौन – स्वीक्रति का इशारा हो ……..
तब ……………….
तेरा – साथ बाँट भी सकती हूँ ………
तेरी -उलझी – उलझी ……..
सांसों – की …………..
गांठें – खोल भी सकती हूँ …..||
२—– और ……………….
इन – जाते से ………
पलों – को डोर से बांध भी सकती हूँ ……
जो – तू …………
उड़ना – चाहे ………..
तब ………………
ख्वाब – के पर खोल भी सकती हूँ …….|||
३—– इक – धूप सी हंसी ……..
तेरे …………..
आगोश – में उतार भी सकती हूँ ………!||||
स्वरचित – सीमा सिंह |||||

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