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दरारें भर गई होगीं ………!

khwahishein yeh bhi hain
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दरारें भर गई होगीं ………!
——–
दिलों की
दरारें भर गई होगीं
शायद,दुआएं
असर कर गई होगीं ।
1—- कमजोर – लम्हों में
शाम बुझ गई होगी
सूरतें, कुछ थीं
कुछ और हो गई होगीं ।।
2—- मौसमी- बादलों की
सुनके, आसमां में
दरार पड़ गई होगी
रंगों की शोखियाँ,कुछ थी
कुछ और हो गई होगीं ।।।
3—- आइना देखने,दिखाने में
परछाई,खो गई होगी
ख्वाव की रानाईयां,कुछ थीं
कुछ और हो गई होगीं ।।।।
स्वरचित – सीमा सिहं ।।।।</strong

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