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जाते हुए लम्हों को ………?

khwahishein yeh bhi hain
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जाते हुए लम्हों को ………?
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हुआ यूँ कि
दिल की,दरख्वात
उसने ,सुनी नहीं ।
जाते हुए लम्हों को
आवाज, हमने दी नहीं ।।
1— – मुठ्ठियाँ खोलने की
कोताई होती,हुई नहीं ।
दरिया- दिली की
नुमांइश,हमसे हुई नहीं ।।
2—- रो के,चुप हो गये
आह !मुंह से निकली नहीं ।
खुद नुमाई की
बात,हमने की नहीं ।।
3—- ऐसा नहीं!कोई बात
जेहन में, बैठती नहीं
पर,वेबफाई की
राह, हमने चुनी नहीं ।।\
स्वरचित – सीमा सिंह ।।।

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