khwahishein yeh bhi hain
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सब्ज यादों के ……..!
——
हाथों से
रंग हिना,खुशबू के साथ-साथ
सब्ज यादों के
मौसम भी जा चुके हैं ।
आप आओ तो आओ
न आओ तो न आओ ।।
1- – कुछ और ढूँढ़ते हैं
गुरबत के अँधेरे में ।
सितारों के शिवाय:
आप आओ तो आओ
न आओ तो न आओ ।।
2— मौसम की,कानाफूसी में
फूलों के साथ- साथ
उम्मीदों के नर्म- पत्ते भी झर चुके हैं ।
झुलसते- जंगलों की ओर
आप आओ तो आओ
न आओ तो न आओ ।।।
स्वरचित – सीमा सिंह ।।।।
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