khwahishein yeh bhi hain
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तेरी खैरियत पूछने,मेरे मिजाज की ……….!
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हवा
और कहाँ गई होगी
तेरी-खैरियत पूछने
मेरे-मिजाज की
कड़ी- ढूंढने गई होगी ।।
—– फूल,पत्तियों ने
जहाँ- तबज्जो नहीं दी होगी
बगवां से मिल के रोई होगी ।।
हवा,और कहाँ ……………,
—– देर – सबेर
बात -सुनने की फुर्सत कहाँ होगी
वो, परियों के देश
घुमने गई होगी ।।
हवा,और कहाँ …………….,.
—– अरमानों की लंका
आप से आप जली होगी
परिंदों के पर खोलने
वो ,परदेश गई होगी ।।
हवा और कहाँ ………………,
——- गुनगुने – बिस्तर में
जब-नींद नहीं आई होगी
पत्थरों पे सिर रक्खे
भोर-गये तक सोई होगी
सीमा सिंह ।।।।
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