khwahishein yeh bhi hain
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आज- घर जाने की हमको ……..!
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बैठिए कुछ देर
सीने – की जलन ठंडी नहीं
आज- घर जाने की
हमको – कोई भी जल्दी नहीं ;
दीजिए कांधा,हमें
आ जाएगा आराम कुछ
फुरसतें – जाना, ये
ठंडी सी लहर की ताजगी ।।
आज- घर ……………….!
कुछ हुए,अपने से आजिज
कुछ हुए औरों से तंग
फुरसतें ही फुरसतें,ये
काम की जल्दी नहीं ।।
आज- घर ……………….!
छुप गया है ख्वाब
अपनी- बात कह के चाँद से
बैठिए-आगोश में,ये
वे सबव दीवानगी ।।
आज- घर ……………….!
सीमा सिंह |||||||
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