khwahishein yeh bhi hain
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लिखेगा तू भी खत ………….!
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अंजान- चेहरों में
गुमनाम,खतों में
आते रहे,हर रोज
तेरी-चौखट पे
मुरादों के फूल लेकर
यहाँ – तक दिल की रहगुजर में
उठाते रहे कदम दर कदम
पर,तेरी नजाकत और नफासत ने
दीवाना नहीं किया ;
यहाँ – तक,खुश्क हो गये
सुर्ख – गुलाब गुलदानों में
पहन लिए दरख्तों ने
हिजाबों के लिबास – ताजपोशी में
उतर गए,दरियाओं के
चढ़े – ज्वार
पर,दुखों की राख ने
चेहरा नहीं ढका ;
लिखे गा,कोई दिन तू भी
खत कोई ऐसा
पानी की – सिलवटों पे
जिसका , मुझे जबाव नहीं मिला ।।।।
सीमा सिंह ।।।।
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