khwahishein yeh bhi hain
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समझना मुश्किल है ……..?
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बदलते- मौसमों को,समझना मुश्किल है।
जिस सफर पे निकले,उससे लौटना मुश्किल है ।।
रुत ठहरी,हवा ठहरी,धडकनों की हलचल ठहरी ।
इन सूरते हाल में ,मुड़ के देखना मुश्किल है ।।
जिस लिबास को मैं,पहन के निकली ।
कोई – दूसरा तन पे फबना – मुश्किल है ।।
कमजोर हो रही , पकड़ उसकी ।
पलट के वार करना,ऐसे में मुश्किल है ।।
दबी जुवां का ,शोर सुनना मुमकिन है ।
कड़ी दर कड़ी ,जोड़ना मुश्किल है ।।
जिस – लहजे में ,उसने बात की ।
उस – वास्ते कुछ कहना,आज मुश्किल है ।।
सीमा सिंह ।।।।
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