Menu
blogid : 8924 postid : 339

ठहरी नदी में …….!

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
  • 195 Posts
  • 470 Comments

ठहरी नदी में …….!
——–
हवा के दबाव से
पेड़ – चटकने लगे,
सिले – जोड़ खुलने लगे ।।
दिल की बेकरारी का,
सबव देखो ।
ठहरी – नदी में,
उबाल आने लगे ।।
मुसीबतों का हल ये ,
शिकस्ता – पांव पढ़ाव
डालने – लगे ।।
समय की होशियारी का
कहना क्या ।
नदी के बहाव में ,
मांझी – नाव उतारने लगे |||
सीमा सिंह ।।।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply