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खानाबदोश- जिन्दगी के …….?

khwahishein yeh bhi hain
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खानाबदोश- जिन्दगी के …….?
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इन खौफ-जदा आँखों के
नजारे – कैसे ,
जाती हुई मौजों के
इशारे- कैसे ।।
उस वे- खबर शख्स को
पुकारें कैसे ,
खाना बदोश जिन्दगी के
हवाले कैसे ।।
मुद्दतों का बिछड़ा जमाने
बाद- मिला ।।
ऐसे – शख्स की नजर
उतारें – कैसे ।।
चुप्पियाँ !टूटने की उम्मीद
क्यों -कर ,
मजबूरियां दिल से
निकालें – कैसे ।।
चिलमनों के पार,एक ही चेहरा
रस्में – उल्फत के दीये
बुझायें – कैसे ।।।।
सीमा सिंह ।।।\

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