khwahishein yeh bhi hain
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पांव- जलने लगे ……..?
——–
पीड़ा के बीज …
चटके , बिखर गये
जमीन
सुर्ख हो गई ।
चलने बालों के …
पांव -जलने लगे ,
पेंड की शाखाएँ प्रति शाखाएँ
जड़ सहित …?
भुत ,भविष्य ,वर्तमान
अस्तित्व पर
सवाल -उठाने लगे
तब
हैरानगी कहो या
असुरक्षा का भाव ?
या
सोई हुई, चेतना के जागने का प्रारब्ध
लोग , एक जुट होने लगे ।
नारे – देने वालों का
विरुद्ध
झंडे – गाड़ने लगे ।
अपने -अस्तित्व के,
सर्वच्च को बचाने का
हक मांगने लगे …।।।।
सीमा सिंह ।।।।
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