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पूरे जंगल में ………..!

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
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पूरे जंगल में ………..!
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बारिशों की बूदों से
पसीने की पहचान कराई,
उसने – लीक से हट कर
नई राह बनाई ।
हवा ने गरीब के झोपड़े पे
चिन्गारी गिराई,पूरे जंगल में
इक- आग फैलाई ।
जलने लगे फूल, पत्ते
तितलियों ने भी,कीमत चुकाई ।
पूछा हमसे राह के शिकारी ने
जाओगे कहाँ ,जैसे -तैसे
उसको – राह भुलाई ।।।
सीमा सिंह ।।।

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