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क्या ! तुम मेरे साथ …?
बुद्ध पूर्णिमा पर गौतम बुद्ध के विचारों की मान्यताओं को मानने बालों की स्वीकृत स्वभाव के कथनानुसार बुद्ध अपनी वास्तविक चेतना शब्दों में नहीं ,संकेतों से किसी में …! उसी परिकल्पना के अनुसार यहाँ गौतम बुद्ध के विचार परिक्रमा की , तब कुछ ऐसी जाग्रति का …!
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बुद्ध के देश में …
मन में
न राम हैं ,न ही रावण ?…
न ही हनुमान भक्त तुलसी सा
प्रेम सेवाभाव ! बस
एक जीवित सभ्यता को
पथभ्रष्ट होने से
बचाना ही कर्म पथ है
या फिर
किसी बौद्ध पथगामी
ऋषि के अभिश्राप से
इस धरती को
मुक्त कराने का ध्येय ;
क्या ! तुम मेरे साथ ,
बौध गया के
उस वृक्ष के पास चलोगे ? जहाँ शुद्धोदन पुत्र
सिद्धार्थ गौतम बुद्ध ने
संबोधि के स्वर सुने थे ,
इस जीवन धरा पर, जहाँ
बुद्ध ने साश्वत महाप्रयाण मुक्ति के
बीज बोये थे ,अंकुरित हुए थे ,पुष्पलित हुए थे !
सीमा सिंह ॥॥
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