khwahishein yeh bhi hain
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यादें !
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इन यादों के मौसम, अजाब से हैं
जिनसे उड़ते हैं, पर वो उधर के हैं ।
कुछ कहते हैं, कुछ कहने से डरते हैं
भींगी पलकों पे बादल,बीमार से हैं ।
यह कौन आया, चुपचाप मेरे आंगन में
दरो – दीवारों के चेहरे हैरान से हैं ॥॥
सीमा सिंह ॥॥
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