शेष जो बचता है !!
शेष जो बचता है !!
बहुत कुछ मिथ्या था
मुझ में मरने जैसा
वो ! जा चुका है या सीधी -सपाट भाषा में कहूँ
तब ! मर चुका है
अब शेष जो है
वही तथ्यात्मक यथार्थ है,सत्य है
अघटित है,नित्य है
ये न मरने बाला शाश्वत ब्रह्म स्वरूपा
जो अस्तित्व में
हमेशा से था
हमेशा है हमेशा रहेगा
धूप जिसे सुखा नहीं सकती
जल जिसे भिगो नहीं सकता
तलवार जिसे काट नहीं सकती
अग्नि जिसे जला नहीं सकती
मृत्यु जिसे मिटा नहीं सकती
शेष जो बचता है,वही …!
सीमा सिंह ॥॥
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