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तस्वीरें चुप ही रहतीं हैं

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
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तस्वीरें चुप ही रहतीं हैं !
टूटे हुए घर ?
झुलसी हुई दीवारे ?
साथ में गिराए गये दरवाजे और खिड़कियाँ ?
क्रमश : उनके पीछे खड़े
मासूम निरीह चेहरे
उन चेहरों से झांकती आँखें
उन आँखों में बैठा, समाया डर
जो दिखाई नहीं देता
आदमी का आदमी के साथ रिश्ता
जैसे कि था ही नहीं, जैसे के है ही नहीं
यूँ तो
तस्वीरें चुप ही रहती हैं
किन्तु ! संवेदनाओं का सारथी वाचाल मन और
उससे जुड़ी चेतना
और उसमें से झांकते सवाल !
प्रति उत्तर की करते है मांग
क्या ? मासूम ,निरीह और
चुप्पी साधे तस्वीरों में बैठे चेहरों की
पीड़ा,दर्द,चीखे ,चीत्कारे,कराहटों में
मरी हुई आदमियत पर
रोती हुई रुदालियों का रुदन
आदमी को सुनाई नहीं देता !
सीमा सिंह ॥॥
पड़ोसी देश ” पाक के पेशावर में ” एक चर्च पर हमले में 85 लोगों की मौत पर ,उनके रिश्तेदारों -करीबियों के रोते -बिलखते चेहरों को देखने के बाद चुप नहीं रहा जा सका तब !

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