Menu
blogid : 8924 postid : 625995

हे!सिया वैदेही ?

khwahishein yeh bhi hain
khwahishein yeh bhi hain
  • 195 Posts
  • 470 Comments

हे ! सिया वैदेही ?
हे ! जनक सुता ,जनक नंदिनी
सिया- वैदेही
तेरे मन का बनवास काटते-काटते
कितने जन युग बीते
कितने जन्मों के मन मंथन के भव-सागर लांघे
पर
इस युग के
राम से परिचय नहीं हुआ
क्या मैं, समय की शिला अभिशप्त अहिल्या
अथवा प्रेम समर्पित
शबरी के जूठे बेर हूँ
जिसका !मौन- प्रेम समर्पण
स्वीकारने वाला मर्यादा पुरुषोत्तम
इस युग का राम नहीं आया
हे ! जनक सुता वैदेही
नारी मन मंथन की व्यथा पीड़ा
तुम से ज्यादा धरा पे
और कौन समझेगा
हे ! नारियों में प्रथम नारी
यूँ चुप न रहो ,कुछ तो कहो
क्या फिर कोई मारीच भेष -बदल
रावण
राम की सिया को ,
लक्ष्मण रेखा से हर ले गया !!
सीमा सिंह ॥॥

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply