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बेघर होना !!

khwahishein yeh bhi hain
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बेघर होना !!
जब मैं ,पहली बार बेघर- हुआ
बहुत- बुरा लगा था ,बहुत- रोया था और
बहुत दिनों तक उदास रहा था
वो ! खोने ,बिछुड़ने और
अपने-आपको पाने के बीच
एक लम्बी काली-रात थी
उस रात के बाद
सामने ! सुनहरे दिन की सुबह थी
आँखों में
नया शहर,नये लोग ,नयी जमीन
नया आसमान था
कुछ भी पुरानापन न था
सिर्फ ! अपने बजूद का पुरानापन
पुराना था ,पुरानी भूख थी,पुरानी प्यास
आग थी ,शोक था ,संताप था ,डर था
भय था,बेघर होने का
मुझमें अभी भी
कहीं न कहीं ,एक बच्चे के मन सा- अहसास था
टूटे हुए विश्वास का
आखों में खारापन था
जब मैं ,पहली बार बेखर हुआ !!
सीमा सिंह ॥॥

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