khwahishein yeh bhi hain
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रिश्ता कोई जरुर !!
नींद का ख्वाब से
आँख का तस्वीर से
नजर का गहराई से
चाँद का तन्हाई से
चाह का जंजीर से
दर्द का रुसवाई से
रिश्ता ! कोई तो जरुर है ,
बूँद का शबनम से
रात का जुगनू से
याद का ख़ामोशी से
शाम का उदासी से
लम्हे का कतरे से
रिश्ता कोई जरुर है वरना
हवा में खुश्बुओं की सुवास न होती
इन दूरियों में नजदीकियों की बात न होती
दिलों में अहसास के जज़ीरे न होते
हम न होते,तुम न होते
ये शुमार दुनिया न होती ,
ख्बाहिशों का कलरब न होता !
इन सबों के बीच, गहरा न हो पर
रिश्ता कोई जरुर है ;
हम कहीं भी हो
हमारी कोई भी पहचान हो
कोई भी नाम हो ! रंग में ,गंध में
शब्द में, भाव में, विचार में
जमीन के जर्रे में
हम कहीं भी हों ,रिश्ता कोई जरुर है
रिश्ता कोई जरुर है !!
सीमा सिंह ॥॥
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